सिविल सेवा डे पर विशेष: ऐसे तैयार होते हैं आई ए एस अधिकारी

Special on Civil Service Day

Special on Civil Service Day

Special on Civil Service Day: देश में  हर वर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिविल सेवकों द्वारा राष्ट्र को दी गई अमूल्य सेवाओं के सम्मान में मनाया जाता है ।  इसी दिन दिल्ली के मेटकाफ हाउस में आईएएस के बैच को सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा  संबोधित किया था। उन्होंने अपने प्रेरक भाषण में सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' कहा था। सरकारी नीतियां बनाने और लागू करने से लेकर कानून व्यवस्था बेहतर रखने तक इन्ही अधिकारीयों की जिम्मेदारी होती है। आज हमारा देश दस हजार आइ‌ ए एस और आईपीएस अधिकारीयों‌ के जिम्मे है। इन अधिकारियों के सम्मान में 2006 से सिविल सर्विस डे मनाया जा रहा है। 142 करोड़ की आबादी वाले देश में इस वक्त 5542 आई ए‌ एस और 4469 आईपीएस अधिकारी हैं । देश की पूरी व्यवस्था को बनाए रखने में इन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन सिविल सेवकों को ट्रेनिंग तक पहुंचने के लिए यू पी एस सी‌ की प्रीलिम्स और मैंस परीक्षा पास करनी होती है, तथा इसके बाद इंटरव्यू पास करके ट्रेनिंग के लिए तैयार होते हैं। यूपीएससी द्वारा आई‌ ए एसऔर आईपीएस सहित लगभग 20 प्रकार की सेवाओं के लिए हर वर्ष तकरीबन 1000 अधिकारियों का चयन किया जाता है। वर्ष 2024 की बात करें तो 2024 में 13 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन किया था । इनमें से 1078 को चुना गया । देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में यूपीएससी की  परीक्षा में सफलता दर 0.1% से भी कम है। इन सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी भी 20 से 25% तक है 2024 में 54 महिला आईपीएस पास हुई जिनकी कुल में 28% हिस्सेदारी थी, जो एक रिकॉर्ड रहा है। अधिकारी वर्ग की एंट्री करने में यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती  है। दोनों परीक्षाए और इंटरव्यू के साथ-साथ  तीनों चरणों से गुजरने के बाद सभी अधिकारी ट्रेनिंग के लिए मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन में पहुंचते हैं।श, जहां 2 साल का प्रशिक्षण होता है इन दो सालों में से सामान्य फाउंडेशन कोर्स के 15 हफ्तों व विशेष प्रोफेशनल कोर्स  22 हफ्तों में वह सब सीखना होता है जो प्रशासनिक तंत्र के संचालन के लिए जरूरी होता है। अकादमी में सुबह 6:00 बजे ट्रेनिंग का दौर शुरू होता है । सुबह 6:00 बजे ग्राउंड में पी टी फिर घुड़सवारी के बाद 9:30 से शाम 5:00 बजे तक क्लास होती हैं ।हर रोज 55-55 मिनट के 5 से 6 सेशन में विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण दिया जाता है। टॉप इंस्टीट्यूशन के प्रोफेसर रिटायर्ड सिविल सर्वेंट जैसे एक्सपर्ट दिन भर में लगभग डेढ दर्जन एक्टिविटीज से नेतृत्व, नवाचार जैसी स्किल तरासते हैं। अकादमी में एक गीत भी रोज गाना होता है जो इस प्रकार है 'रहो धर्म में धीर - रहो कर्म में वीर'। रखो उन्नत शिर ,डरो ना डरो ना। फाउंडेशन कोर्स में सिविल सेवा की भी सेवाओं के लोग जुड़े होते हैं, जिनमें आईएएस आईपीएस और आईएफएस सहित अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होते हैं ।बाकी केंद्रीय सेवा के होते हैं। फाउंडेशन कोर्स के बाद इस अगली ट्रेनिंग के फेस 1 के लिए रुक जाते हैं इसमें 7 हफ्ते के बाद दर्शन मॉड्यूल के तहत देश की डेमोक्रेफी, सुरक्षा चुनौती, रहन-सहन को अनुभव करने का मौका दिया जाता है। फेस दो की ट्रेनिंग के बाद प्रशिक्षण अंतिम चरण मैं पहुंचता है तो सिविल सेवा का मार्गदर्शक सिद्धांत 'शीलम परम भूषणम' लेकर अफसर अपने कैडर की समस्याएं सुलझाने निकल पड़ते हैं । बीच-बीच में एकेडमी  में  बुला लिया जाता है । 

ट्रेनिंग के दौरान अकादमी में समय और अनुशासन में रहते हुए भविष्य के लिए भी अनुशासन ‌का पाठ पढ़ा जाता है।पी टी हो या ट्रेनिंग 1 मिनट की देरी पर भी सजा और मेमो मिल जाता है। इस प्रकार सेसमय पाबंदी का पुट स्वभाव में ही डाल दिया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान ही पैरामिलिट्री फोर्सेस की गाइडेंस से सीमित संसाधनों के साथ मुश्किल परिस्थितियों में रहना और उनका सामना करना भी सीखाया जाता है। फाउंडेशन कोर्स सहित 2 साल के प्रशिक्षण के बाद इन अधिकारियों को उनके कैडर अनुसार राज्यों में भेजा जाता है, जहां जिलों में कुछ महीनो के लिए इन्हें अंडर ट्रेनिंग रखा जाता है और उसके बाद एडिशनल डिप्टी कमिश्नर से शुरू होकर निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। डिप्टी कमिश्नर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनने तक इन अधिकारियों कोअपने कैडर स्टेट की सरकार की हर प्रकार की योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों की जानकारी तो होती है, साथ ही उन्हें क्रियान्वित करने में भी पारंगत हो जाते हैं। फील्ड के कार्यों के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों में पारंगत होने के बाद विभिन्न विभागों में एडमिनिस्ट्रेशन हेड बन जाते हैं, जहां अपने-अपने विभागों की नीतियां, कार्यक्रम बनाने के साथ-साथ  लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार से देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने अधिकारियों को स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया की संज्ञा दी थी। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि देश के निर्माण में इन अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सतीश मेहरा